वेदों के अनुसार भारत देश.
राजा द्वारा भारत देश निर्माण
गौ ,शिक्षा और राजा के आचरण, इन
तीन का राष्ट्र निर्माण मे महत्व
Making of Bharat Desh RV5.27
ऋषि:- त्रैवृष्ण्याष्ययरुण:,पौरुकुत्सस्त्रसदस्यु:, भारतोश्वमेधश्च राजान: ।
अग्नि:, 6 इन्द्राग्नी। त्रिष्टुप्, 4-6 अनुष्टुप्।
ऋषि: = 1. त्रैवृष्णा:=
जिस के उपदेश तीनों मन शरीर व आत्मा के सुखों को शक्तिशाली बनाते हैं
2. त्र्यरुण:= वह तीन
जो मन शरीर व आत्मा के सुखों को प्राप्त
कराते हैं
3.पौरुकुत्स त्रसदस्य: = जो राजा सज्जनों का पालक व तीन (दुराचारी,भ्रष्ट , समाज द्रोही)
दस्युओं को दूर करने वाला
4. राजान भारतो अश्वमेध: ;
भारतो राजान: - राजा जो स्वयं की यज्ञमय
आदर्श जीवनशैलि से प्रजा को भी यज्ञीय
मनोवृत्ति वाला बना कर राष्ट्र
का उत्तम भरण करता है .
अश्वमेध: - अश्व- ऊर्जा और मेधा-
यथा योग्य मनन युक्त आत्म ज्ञान को धारण करने वाली
परम बुद्धि
इन्द्राग्नी = इन्द्राग्नि: = उत्साह और ऊर्जा से
पूर्ण सदैव अपने लक्ष्य को प्राप्त करने मे विजयी व्यक्ति Have fire in their belly to be ultimate Doers
COWS’ role in Vision for Bharat varsh Nation
1. अनस्वन्ता सत्पतिर्मामहे मे गावा चेतिष्ठो असुरो मघोन: ।
त्रैवृष्णो अग्ने दशभि: सहस्रैर्वैश्वानर ष्ययरुणश्चिकेत ।।RV5.27.1
त्रैवृष्णो अग्ने दशभि: सहस्रैर्वैश्वानर ष्ययरुणश्चिकेत ।।RV5.27.1
(गावा
चेतिष्ठ:) गौओं से प्राप्त उत्तम चेतना
द्वारा (सत्पति: ) सज्जनों के पालन के लिए भूत
काल की उपलब्धियों के अनुभव के आधार पर
वर्तमान और भविष्य के लिए (तीनों काल )(त्रैवृष्ण:)में शरीर, मन, बुद्धि तीनों को
शक्तिशाली बनाने वाली (असुरो मघोन:) ऐश्वर्यशाली प्राण ( जीवन शैलि )
को (त्र्यरुण:) शरीर , मन और बुद्धि के लिए ज्ञान ,कर्म और उपासना द्वारा (दशभि: सहस्रैर्वैश्वानर) समस्त प्रजा की
प्रवृत्तियों की धर्म अर्थ और काम की
उन्नति के लिए (अनस्वन्ता) उत्तम वाहनों से युक्त समाज, (मामहे) उपलब्ध कराओ.
Excellent cows should be ensured to build physically healthy, peaceful and
high intellectual society. Current and
Future planning should be based on experience of past working results, to obtain excellent Health, Mentality and
Intellect in the nation to provide for a prosperous life style. Such a nation is
self motivated in following the path of righteous behavior, charitable
disposition and God loving conduct in their daily life.
Among other things excellent infrastructure of communication, transport should
be provided.
.
Hundreds of well fed cows
2.
2.यो मे शता च विंशतिं च गोनां हरी च युक्ता सुधुरा ददाति ।
वैश्वानर सुष्टुतो वावृधानोऽग्ने यच्छ त्र्युरुणाय शर्म ।। RV 5.27.2
वैश्वानर सुष्टुतो वावृधानोऽग्ने यच्छ त्र्युरुणाय शर्म ।। RV 5.27.2
3.
(वैश्वानर)
धर्म अर्थ और काम को प्राप्त कराने वाली ऊर्जा और (वावृधान: अग्नि:) निरन्तर
प्रगति देने वाले यज्ञ (त्र्यरुणाय) शरीर, मन और बुद्धि के
लिए सेंकड़ों गौओं और बीसियों उत्तम शकटों से (हरी:) जितेंद्रिय पुरुषों से –भौतिक
साधनों और श्रेष्ठ समाज से युक्त हो कर (शर्म यच्छ) विश्व का कल्याण प्राप्त करो
4.
Urge for continuous strong
positive motivation based activities in individuals creates a prosperous, peace
loving, healthy, self disciplined sustainable society with hundreds of cows and
dozens of carts loaded with green fodder for cows for aorganic food, and good
infrastructure base. Nation provided with such infrastructure has a society
that is rich in physical resources, and
has well behaved people for welfare of the world.
Planning in
Nation
3. एवा ते अग्ने सुमतिं चकानो नविष्ठाय नवमं त्रसदस्यु: ।
यो मे गिरस्तुविजातस्य पूर्वीर्युक्तेनाभि ष्ययरुणो गृणाति ।।RV 5.27.3
यो मे गिरस्तुविजातस्य पूर्वीर्युक्तेनाभि ष्ययरुणो गृणाति ।।RV 5.27.3
तेजस्वी
विद्वान प्रकृति के विधान और अनुभव से प्राप्त ज्ञान के उपदेशों की कामना करता हुआ
सब वासनाओं से मुक्त समाज के निर्माण द्वारा भविष्य के लिए उत्तम नवीन समाज
की आवश्यकताओं की पूर्ती और तीनो प्रकार तम , मन और आत्मा से सुखी समाज का निर्माण करता है और सब से ऐसी
विचार धारा का सम्मान करने को कहता है.
Bright enlightened intellectual leadership seeks guidance from Nature the environment
friendly and traditional empirical wisdom to build a hedonism free culture for
the growing needs and aspirations of future generations. By honoring and
propagating such wisdom only an ideal and happy society is evolved.
Education in Nation
4. यो म इति प्रवोचत्यश्वमेधाय सूरये ।
दददृचा सनिं यते ददन्मेधामृतायते ।।RV 5.27.4
दददृचा सनिं यते ददन्मेधामृतायते ।।RV 5.27.4
(राजा
का दायित्व है कि ) जो विद्वद्जन (राष्ट्र की उन्नति के लिए) समाज में ऊर्जा (भौतिक
और आत्मबल ) के विस्तार और सत्य असत्य के निर्णय करने मे समाज को सक्षम करने के वेद विद्यानुसार उपदेश करते हैं,उन को सम्माननीय पद दे
और उन का सत्कार करे.
For growth of the nation it is responsibility of King recognize, honor and promote intelligent teachers that develop the society by
educating it in growth conservation of physical energies and their mental
energies, with ability to discern truth from untruth.
Bulls make
excellent Nation
4.
5. यस्य मा परुषा: शतमुध्दर्षयन्त्युक्षण: ।
अश्वमेधस्य दाना: सोमा इव त्र्याशिर: ।। RV5.27.5
अश्वमेधस्य दाना: सोमा इव त्र्याशिर: ।। RV5.27.5
5.
(यस्य मा शतम्
उक्षण: परुषा:) जो मेरे लिए , सेंकड़ो क्रोध
से रहित सधे हुए वीर्य सेचन में
समर्थ उत्तम वृषभ और कठिन परिश्रम साध्य
बैल, (त्रयाशिर:) तीनों -
बालक, युवा, वृद्ध तीनों प्रजाजनों के लिए - राष्ट्र में (अश्वमेध-ऊर्जा और मेधा) - तीनों
वसु (भौतिक सुख के साधन) रुद्र रोगादि से
मुक्त,आदित्य सौर ऊर्जा के
द्वारा, तीनों दूध,दही और अन्न (सोमा: इव) श्रेष्ठ मानसिकता तीन प्रकार से शरीर को नीरोग,मन को निर्मल बुद्धि को तीव्र बनाते और (दाना:)इन दानों
से (उद्धर्ष्यन्ति ) उत्कृष्ट उल्लास का
कारण बनते हैं .
Bulls that have
excellent breeding soundness for providing excellent cows and oxen that are
strong and mild mannered to provide power to the nation
Provide excellent health nutrition and intellect to all
the three ie. infants youth and old persons with three bounties of happiness
ie. Healthy environments, cheerfulness and solar energy by the three items of cows
milk, curds and organic food to provide the three bounties of healthy disease
free life, positive attitudes in life and sharp intellect to spread happiness
all round.
6. इन्द्राग्नी शतदाव्न्यश्वमेधे सुवीर्यम् ।
क्षत्रं धारयतं बृहद् दिवि सूर्यमिवाजरम् ।।RV 5.27.6
क्षत्रं धारयतं बृहद् दिवि सूर्यमिवाजरम् ।।RV 5.27.6
उत्साह
और ऊर्जा से पूर्ण सदैव अपने लक्ष्य को
प्राप्त करने मे विजयी, योग्य मनन
युक्त आत्मज्ञान को धारण करने वाली परम
बुद्धि से युक्त समाज, असङ्ख्य पदार्थों से सूर्य के सदृश
उत्तम पराक्रम तथा बलयुक्त नाश से रहित महान
राष्ट्र का निर्माण होता है.
Thus
is created a Nation that is strong to protect itself from all destructive
internal and external enemies, where the society consists of a prosperous, self
motivated well behaved intelligent people.