AV3.14 गावो गोष्ठो देवता 4.1.0 Management गो पालन विषय
AV
Sukta12.4 अथर्व वेद 12-4 सूक्त -वशा गौ ,ऋषि- कश्यप:
4.1.0.1 AV
12.4.1 अथर्व 12-4-1 On Donating a cow
गौ
दान किस को
ददामीत्येव
ब्रूयादनु चैनामभुत्सत।
वशां ब्रह्मभ्यो याचद्भ्यस्तत्प्रजावदपत्यवत् || अथर्व 12.4.1
Cows
should be given in keeping of learned persons
(veterinarians)
who have noble temperaments.
गौओं
को ब्राह्मण वृत्ति के पशु पालन
वैज्ञानिकों के ही दायित्व में देना
चाहिए ।
4.1.0.2 AV
12-4-2 Curse of a sick Cow दुःखी गौ का श्राप
प्रजया
स वि क्रीणीते पशुभिश्चोप दस्यति।
य
आर्षेयेभ्यो याचभ्दयो देवानां गां न दित्सति ।। अथर्व 12-4-2
Those who
do not give cows in the keeping of such
virtuous persons to bring about improvements
in the
cows, merely trade and do no service for society.
They
suffer from curse of unhappy cows.
जो
लोग कुशल कार्य कर्ताओं की सहायता से गौ संवर्द्धन का कार्य
नहीं
करते,
वे केवल व्यापार वृत्ति से कार्य कराते हैं। वे दुखी गौ के
श्राप
के भोगी होते हैं।
4.1.0.3 AV
12-4-3 Underfed Cow's Curse
दुःखी
गौ का श्राप
कूटयास्य
सं शीर्य-ते श्लोणया काटमर्दति।
बण्ड्या
दह्य-ते गृहाः काणया दीयते स्वम् ।। अथर्व 12-4-3
Society
that trades in unhealthy cows gets destroyed
By curse of unhappy cows.
जो
समाज गौ को व्यापार मान कर चलाते हैं, वे दुखी गौ के श्राप से
नष्ट
हो जाते हैं।
4.1.0.4
AV12-4-4 same as above फिर वही
विलोहितो
अधिष्ठानाच्छद्विक्लिदुर्नाम विन्दति गोपतिम् ।
तथा
वशायाः संविद्यं दुरदभ्ना ह्युच्यसे ।।
अथर्व12-4-4
Miserly
person's looking after the cows neglect their
Feed and
health. Cows suffer bleeding and such
ailments
which become incurable.
कंजूस
गोपालक की गौ,रक्त स्राव जैसे असाध्य रोगों से
ग्रसित हो
कर
नष्ट हो जाती हैं।
4.1.0.5
AV 12-4-5 Foot and mouth disease
मुंह खुरपका
पदोरस्या अधिष्ठानाद्विक्लिन्दुर्नाम विंदति|
अनामनात्सं शीर्यन्ते या मुखेनोपजिघ्रति ।। अथर्व
12-4-5
By
sniffing her feet/ place where cow puts her feet, A
disease
'Wiklindu' is contracted that finally destroys
the
cow. ( The obvious reference is to the contagious
Foot
and mouth disease)
गौ अपने खुर सूंघने से मुंह खुर पका रोग से ग्रस्त हो कर नष्ट हो
जाती है।
4.1.0.6
AV12-4-6 Do not make Cut marks on Cow
ears
गौ
की पहचान के लिए कान मत काटो
यो
अस्याः कर्णावास्कुनोत्या स देवेषु वृश्चते ।
लक्ष्मं
कुर्व इति मन्यते कनीयः कृणुते स्वम् ।। अथर्व 12-4-6
Those
persons who make cut marks on cow's ears for
Identification,
are as if cutting short their own wealth.
गौ
की पहचान के लिए के कान नहीं काटने चाहिएं।
4.1.0.7 AV
12-4-7 Do not cut COW Hair गौ के बाल नही
काटे जाते
यदस्याः
कस्मै चिद्भोगाय बालान्कश्चित्प्रकृन्तति ।
ततः
किशोरा म्रियन्ते वत्सांश्च धातुको वृकः ।। अथर्व 12-4-7
Those who
cut hair of a cow for any reasons, are
Cursed to suffer in life.
जो
किसी तांन्त्रिक कार्य के लिए गौ के बाल लेते हैं उन को श्राप
लगता है।
4.1.0.8 AV
12-4-8 Protect Cows from attack by birds गौ को कौए इत्यादि
पक्षियों से बचाएं
यदस्या
गोपतौ सत्या लोम ध्वाङ्क्षो अजीहिडत् ।
ततः
कुमारः म्रियन्ते यक्ष्मो विन्दत्यनामनात्
।। अथर्व
12-4-8
If crows
are allowed to attack a cow, the lazy care
taker of cows will suffer from
tuberculosis.
( Lazy persons attract
Tuberculosis)
जो
चरवाहा गौ को कौए जैसे पक्षियों से नहीं बचाता , उस आलसी
को क्षय रोग होगा । (आलस्य के
कारण क्षय रोग होता है)
4.1.0.9
AV12-4-9 Cow Dung and Urine
गोबर गोमूत्र
यदस्याः पल्पूलनं शकृद्दासी
समस्यति ।
ततोऽपरूपं जायते तस्मादव्येष्यदेनसः ।। अथर्व
12-4-9
Throwing
away in to waste the Cow Dung and Cow
Urine
disfigures the society.
गोबर गोमूत्र व्यर्थ करने से
समाज के रूप की सुन्दरता नष्ट हो जाती
है ।
VETERINARY
SERVICES
पशु
चिकित्सा सेवाएं
4.1.0.10
AV 12-4-10 Cow Protection गौ सुरक्षा
जायमानाभि
जायते देवान्त्सब्राह्मणान्वशा ।
तस्माद
ब्रह्मभ्यो देयैषा तदाहुः स्वस्य गोपनम् ।। अथर्व 12-4-10
Cow should
always be under the care of
Knowledgeable persons having altruistic
attitudes.
This is the best form of COW PROTECTION
गौपालन में ब्राह्मण वृत्ति के कुशल गोपालकों से ही गौ
सुरक्षित
रहती
है।
4.1.0.11
AV12-4-11 No Cow protection is cruelty
गौ
की असुरक्षा अपराध है
य
एनां वनिमायन्ति तेषां देवकृता वशा।
ब्रह्मज्येयं
तदब्रुवन्य एना निप्रयायते ।। अथर्व 12-4-11
Not providing
cow in to proper hands for care is
cruelty to
cows.
गौ
को ब्राह्मण वृत्ति के लोगों के हाथ न देना गौ पर
अत्याचार है।
4.1.0.12
AV 12-4-12 Same again वही विषय
य
आर्षेयेभ्यो या चद्भयो देवानां गां न
दित्सति ।
आ
स देवेषु वृश्चते ब्राह्मणानां च मन्यते
।। अथर्व
12-4-12
Not
providing the cows with such care, destroys good
traditions of society.
गौवों
को ऐसी सुरक्षा न देने से सामाजिक परम्पराओं का नाश
होता
है।
4.1.0.13
AV 12-4-13 pre parturition post parturition
care
दूध
से हटी गर्भिनी गौ सेवा विषय
यो
अस्य स्याद् वशाभोगो अन्यामिच्छेत तर्हि सः ।
हिंस्ते
अदत्ता पुरुषं याचितां च न दित्सति ।।
अथर्व
12-4-13
Productive
cows can be kept for the immediate
benefits but unproductive
cows must be given for
care by selfless persons.
बाखड़ी, गर्भिणी, दूध से सूखी गौ को निस्वार्थ सेवा चाहिए।
4.1.0.14
AV 12-4-14 Same as above वही विषय फिर
यथा
शेवधिर्निहितो ब्राह्मणानां तथा वशा ।
तामेतदच्छायन्ति यस्मिन्कस्मिंश्च जायते ।। अथर्व 12-4-14
Like the
protection to be provided for hidden
treasures,
such cows must be provided with due
protection
.
( Modern
science calls it Pre parturition & post
parturition-
a 90 days regime two months or more
before
calving and at least one week after calving
care under
best hands)
जैसे
किसी कोष की सुरक्षा की जाती है, उसी प्रकार विद्वान कुशल
हाथों
से बाखड़ी,
कम/बिना दूध की गर्भवती गौ
की सुरक्षा होती है।
4.1.0.15
AV 12-4-15Denial of this service is cruelty to Cows
यह
गौ सेवा उप्लब्ध न होना गौ पर अत्याचार है
तस्मेतदच्छायन्ति यद् ब्राह्मणा अभि ।
यथैनानन्यस्मिञ्जिनीयादेवास्या
निरोधनम् ।। अथर्व
12-4-15
It is the
duty of selfless good persons (veterinarians)
To provide this service. Denial of
this service is cruelty towards Cows.
गौ
वंश की ऐसी सेवा समाज का दायित्व है। इस सेवा का प्रबंध न
होना गौ पर अत्याचार है।
Importance
of Veterinary Services गो विज्ञान
का महत्व
4.1.0.16
AV 12-4-16 Increase of Cows and identification
गो
वंश विस्तार और उसे चिह्नित करना
चरेदेवा
त्रैहायणादविज्ञातगदा सती ।
वशां
च विद्यान्नारद ब्राह्मणास्तह्येर्ष्याः ।। अथर्व 12-4-16
Up to
three years of age a heifer moves around with
its mother. Then it Caves and has to be given an
identity
and donated to a
deserving good household.
तीन वर्ष तक की उस्रिया माता के संग रहती है। बछ्ड़ा
देने पर उस
का
नामकरण करके किसी उपयुक्त परिवार को दान
की जाती है
4.1.0.17
AV 12-4-17 Nonobservance of such practice
Is not in best interests of society
ऐसे
गोदान न करना समाज कल्याण हित में नही होता
य
एनामवशामाह देवानां निहितं निधिम् ।
उभौ
तस्मै भवाशर्वौ परिक्रम्येषुमस्यतः ।। अथर्व 12-4-17
Those who
realize the wealth in cow's udders and
milk, but
do not share these cows with population, are
doing
great disservice to welfare of the community.
जो
गौ के दुग्ध का महत्व जानते हुए भी ऐसे गोदान नहीं करते वे
समाज
के लिए कल्याण कारी नहीं सिद्ध होते
4.1.0.18
AV 12-4-18 Same again वही विषय फिर
यो
अस्या ऊधो न वेदाथो अस्या स्तनानुत ।
उभयेनैवास्मै
दुहे दातुं चेदशकद्वशाम् । । अथर्व 12-4-18
Even
ignorant persons if they donate cows for
Spreading
them, do a great community service.
अविद्वान लोग भी जो गोदान से गौ संवर्द्धन करने
के लिए यथा
समय
गौ सेवा के लिए गौ दान करते हैं, वे समाज सेवा का बड़ा
काम
करते हैं
4.1.0.19
AV 12-4-19 Same again वही विषय फिर
दुर
दभ्नैनमा शये याचितां च ना दित्सति।
नास्मै
कामाः समृध्यन्ते यामदत्त्वा चिकीर्षति ।।
अथर्व
12-4-19
Motivated
by selfish considerations those who do not
Lend their
cows at appropriate times for proper care
by experts, make their cows suffer and are in
the end
not able
to derive the benefits they were trying to
protect in the first place .
बाखड़ी
गर्भ वती गौ की विशेष सेवा के लिए जो लोग अपनी
गौओं
को
विशेषज्ञों के पास दान रूप से नही भेजते, उन की गौएं कष्ट में
रहती
हैं और जो लाभ अपेक्षित था वह नहीं मिलता।
4.1.0.20
AV 12-4-20
Provide
Vet experts honorable place
गो
चिकित्सकों का आदर करो
देवा
वशामयाचन्मुखं कृत्वा ब्राह्मणम् ।
तेषां
सर्वेषामददद्धेडं न्येति मानुषः ।। अथर्व 12-4-20
Veterarian’s
offer for providing help to community to
take care
of Cows should be gratefully accepted .
Ignoring
the Vet Services angers the Vet Experts
पशु
चिकित्सक गो सेवा के लिए उत्सुक रहते हैं। उन
सेवा ने लेने
पर
वे क्रुद्ध होते हैं।
4.1.0.21
AV 12-4-21 Veterinarians पशु चिकित्सक
हेडं
पशूनां न्येति ब्राह्मणेभ्योऽददद्वशाम् ।
देवानां
निहितं भागं मर्त्यश्चेन्निप्रियायते ।। अथर्व 12-4-21
Veterinarians
are to be made available to serve cows.
By not
taking their services properly even the
cows
are put to
great discomfort.
गौ
सेवा के लिए प्रशिक्षित जन गोसेवा अवसर की प्रतीक्षा में उत्सुक
रहते
हैं। उन की सेवा न लेने
से गौ को भी बहुत पीड़ा होती है।
4.1.0.22
AV 12-4-22 Veterinary help
पशु
चिकित्सा दायित्व
यदन्ये शतं याचेयुर्ब्राह्मणा गोपतिं वशाम्।
अथैनां देवा अब्रुवन्नेवं ह विदुषो वशा ।। अथर्व 12-4-22
Hundreds
of people seek help from veterinarians, and
All their cows are said to belong to him.
बहुत
से लोग अपनी गौएं पशु चिकित्सक के पास ले
जाते हैं। वे सब
गौ
उस चिकित्सक की कही जाती हैं।
4.1.0.23
AV12-4-23 Expert Vet Services
कुशल
पशु चिकित्सक सेवा
य
एवं विदुषेऽदत्त्वाथान्येभ्यो ददद्वशाम् ।
दुर्गा
तस्मा अधिष्ठाने पृथिवी सहदेवता ।। अथर्व 12-4-23
Those who
do not take help of trained Vets and go to
Seek help from illiterates, cause lot of misery and loss
to society.
जो
लोग विद्वान पशुचिकित्सकों को छोड़ कर
अविद्वानों के पास
जाते
हैं, वे समाज में दुःख का कारण होते हैं।
4.1.0.24
AV 12.4.24 Ignoring Vet help
पशु
चिकित्सा न लेना
देवा
वशामयाचन्यस्मिन्नग्रे अजायत ।
तामेतां
विद्यान्नारदः सह देवै रुदाजत ।। अथर्व 12-4-24
First time
pregnant cow needs extra care. House
Holders may think of such cows to be their blessing
and feel
that it can take care of itself on its own as a
routine.
पहली
बार गर्भ वती को गृह स्वामी अपना सौभाग्य
समझ कर यह
सोच
लेता है कि सब अपने से ठीक होगा। यह ग़लती
है
4.1.0.25
AV 12-4-25 Continued वही विषय
अनपत्यमल्पपशुं
वशा कृणोति पूरुषम्।
ब्राह्मणैश्च याचितामथैनां
निप्रियायते ।। अथर्व
12-4-25
Ignoring the expert Vet help those
who confine such cows to their family out of misplaced affection, unknowingly
cause harm to their cows and bring damage to the interests of their family.
विशेषज्ञों की सहायता न ले कर ये गो स्वामी गौ और अपने परिवार का और गौ का अहित करता है।
4.1.0.26 AV 12-4-26
अग्नीषोमाभ्यां कामाय
मित्राय वरुणाय च ।
तेभ्यो याचन्ति ब्राह्मणास्तेष्वा वृश्चतेऽददत् ।। अथर्व 12-4-26
Knowledge, Skills, Expert help,
Implements and Resources all are needed for proper care. Ignoring this is a retrograde
step.
विद्वत्ता, ज्ञान , हर प्रकार के संसाधन उपयुक्त
स्थान और समय पर उपलब्ध रहने चाहिएं।
इन सब पर ध्यान न
देना समाज में पिछड़ापन बढ़ाता है।
PASTURE FEEDING गोचर
विषय
4.1.0.27 AV 12.4.27 Time to
release Cows for Pastures प्रातः काल गोचर
यावदस्या
गोपतिर्नोपशृणुयाद्दचः स्वयम् ।
चरेदस्य तावद्गोषु नास्यं
श्रुत्वा गृहे वसेत् ।। अथर्व 12-4-27
Morning strains of mantras when
heard being recited at Agnihotras indicates the time to release cows to go to
pastures for self feeding.
प्रातः कालीन मंत्रो के पाठ
की ध्वनि जब सुनाई देती है, तब जानिए कि गौओं को गोचर में जाने
का समय हो चला
4.1.0.28 AV 12-4-28 Stall feeding
is harmful घर में गौ को बंध कर मत रखो
यो अस्या ऋचउपश्रुत्याथ
गोष्वचीचरत् ।
आयुश्च तस्य भूतिं च देवा
वृश्चन्ति हीडिताः ।। अथर्व 12-4-28
One who keeps Cows at home to feed
even after hearing the morning mantra patha suffers in life.
जो प्रातःकाल मंत्र
ध्वनि सुनने के पश्चात भी गौ को अपने घर पर बांध कर खिलाता है, वह जीवन मे दुख पाता है।
4.1.0.29 AV 12.4.29 Time to stay
in Pastures गोचर में रहने
का समय
वशां चरन्ति बहुधा देवानां निहितो निधिः ।
आविष्कृणुष्व रूपाणि यदा
स्थाम जिघांसति ।। अथर्व
12- 4-29
As long as the cows like to feed
in pastures they represent community assets. When cows want to retreat from
pastures they indicate it by many signs.
गोचर में गौएं समाज की धरोहर
के रूप में रहती हैं।जब वे पुन: अपने गृह
स्वामी के स्थान जाना चाहती हैं, स्वयम् संकेत करती
हैं।
4.1.0.30 AV 12-4-30
आविरात्मानं कृणुते
यदास्त्थाम जिघांसति।
अथो ह ब्रह्मभ्यो वशा
याञ्च्याय कृणुते मन:।। अथर्व 12-4-30
Cow herself indicates the time for
her to go back to her home for help from her master
जब गोचर से गृह स्वामी के
पास जाने का समय होता है गौ स्वयम् ऐसे
संकेत देती है।
4.1.0.31 AV 12-4-31Cow's desires
are to be complied , गौ के अनुकूल आचरण हो
मनसा सं कल्पयति तद्देवाँ
अपि गच्छति ।
ततो ह ब्रह्माभ्यो वशामुपप्रयन्ति याचितुम् ।। अथर्व 12-4-31
When Cows want to leave pastures
to return to their homes, their desires should be complied with. ( It is the
udder stress when it is full of milk, that prompts cow to return to her master
for milking her and feeding her calf)
गौ के घर लौटने के संकेत पर दूध दुहने के लिए गौ को गृह स्वामी के यहां ले जाना
चाहिए।
4.1.0.32 AV 12-4-32 Cow's
Blessings गौ के आशीर्वाद
स्वधाकारेण पितृभ्यो
यज्ञेन देवताभ्यः ।
दानेन राजन्यो
वशाया मातुर्हेडं न गच्छति ।। अथर्व 12-4-32
Cows blessings flow by long
life and
presence of elders in Society,
Ajya for havi in yagyas, for the Society by her bounties (organic agriculture).
पितरों को अपने स्वरूप से, ब्राह्मणों को यज्ञ
में आज्य की हवि से,राज्य को अपनी उपलब्धियों से धन्य करती हैं।
4.1.0.33 AV 12-4-33 Cows belong to
the learned गौ बुद्धिजीवियों की होती है
वशा
माता राजन्यस्य तथा संभूतमग्रशः ।
तस्या
आहुरनर्पणं यद ब्रह्मभ्यः प्रदीयते ।। अथर्व 12-4-33
Cow on
first priority provides for protecting the welfare of society
like a
mother
does. But Cow really belongs to the Veterinarian
intellectuals, who
provide
for its upkeep.
गौ
सामाज को सर्व प्रथम माता कि तरह संरक्षण प्रदान
करती है।
परन्तु
वास्तव में विद्वान बुद्धिजीवि ही गौ को
सुरक्षा प्रदान करते
हैं।
4.1.0.34
AV12-4-34 Gross treatment of Cows a Crime गाव से दुर्व्यवहार
अपराध है
यथाज्यं
प्रगृहीतमालुम्पेत्स्त्रुचो अग्नये ।
एवा
ह ब्रह्मभ्यो वशग्नय आ वृश्चतेऽददत् ।। अथर्व 12-4-34
Like Ajya
havi dropping outside the fire is a crime, not providing the cows
with good Veterinary care is also
a crime.
जैसे
यज्ञाग्नि से बाहर स्रुवा से आज्य
गिराना अपराध है, उसी प्रकार गौ को पशु चिकित्सक की
सेवा
से दूर रखना भी एक अपराध है।
4.1.0.35
AV 12-4-35 Productive cow fulfils all needs दुधारु गौ सम्पन्नता
प्रदान करती है
पुरोडाशवत्सा
सुदुधा लोकेऽस्मा उप तिष्ठति
सस्मै
सर्वान्कामान्वशा प्रददुशषे दुह ।। अथर्व 12-4-35
Productive
Cows fulfill all needs of the society
सवत्सा
दुधारु गौ सब कामानाएं पूर्ण करती है
4.1.0.36
AV 12-4-36 Denying provision of cows leads to hell गो सेवा न करना नरक देता है
सर्वान्कामान्ययमराज्ये
वशा प्रददुशे दुहे ।
अथहुर्नारकं
लोकं निरुन्धा नस्य याचिताम् ।। अथर्व 12-4-36
Not making
provision for good cows, denying cow products to the needy,
turns the
society in to a living hell
गो
सेवा से यम राज के यहां भी सब इच्छा पूरी होती हैं, परन्तु गौ की
सेवा न करने से नरक
से
छुटकारा नहीं मिलता।
4.1.0.37
AV 12-4-37 Cows denied mating are angry cows
गौ
को वृषभ आवश्यक है
प्रवीयमाना चरति क्रुद्धा गोपतये वशा ।
वेहतं
मा मन्यमानो मृत्योः पाशेषु बध्यताम् ।।
अथर्व
12-4-37
Denial of
breeding to good cows makes them infertile makes cows
angry
and curse
the keepers to Death.
(Modern
practice of artificial insemination is known to cause infertility. This
is a challenge for modern Dairy Practice.))
गौ
को वृषभ का सहवास न मिलने पर गौ क्रोधित और बांझ होने
लगती हैं।
(क्रित्रिम गर्भाधान में गौ बांझ होने लगती हैं )
4.1.0.38
AV 12-4-38 Cow Breeding facility
गौ
प्रजनन व्यवस्था
यो
वेहतं मन्यमानो ऽमा च पचते वशा ।
अप्यस्य
पुत्रान् पौत्रांश्च याचयते बृहस्पति ।। 12-4-38
Neglect of
breeding a good cow makes the coming generation
of society in
to beggars
जिस
समाज में गौ प्रजनन सुव्यवस्थित नहीं होता वहां के लोग भीख मांगते हैं।
Pasture
Significance गोचर महत्व
4.1.0.39
AV 12-4-39 Pastures should have free access गोचर महत्व
महदेषाव
तपति चरन्ति गोषु गौरपि ।
अथो
ह गोपतये वशाददुषे विषं दुहे ।। अथर्व 12-4-39
Barriers
in pastures angers the cows, the milk from such cows is likened to
poison. (महदेषाव - Big barriers)
(This fact
is fully supported by latest dairy
science researches.
Only milk of green forage fed cows is rich Essential
Fatty
acids-Omega3 & Omega 6 and has much lower saturated fat content
and is
rich with all Carotenoids. This is confirmed by the researches
shown
here.)
गोचर
में जाने में गौओं को कोई बाधा नही होनी
चाहिए। जो गौ गोचर नहीं जा पाती उन का
दूध
विष समान होता है। गोचर में पोषित गौ के
दूध में वे पोषक तत्व होते हैं जिन्हे आधुनिक
वैज्ञानिक
करोटिनायड जो नेत्र ज्योति का संरक्षण करते हैं – यह तत्व भैंस
के दूध में नहीं पाए
जाते. और असंतृप्त वसा unsaturated
Fatty Acids कहलाते हैं, जो मानव शरीर के लिए
सर्व
रोग निरोधक और ओषधि माने जाते हैं. इन्हीं
के कारण गोदुग्ध को अमृत कहा जाता है.
FAT IN COW
MILK
गो
दुग्ध में वसा
4.1.0.40
AV 12-4-40 High fat milk for Brahmins
ब्राह्मणों
को आज्य के लिए अधिक वसा
प्रियं
पशूनाम भवति यद् ब्रह्म्भ्यः प्रदीयते ।
अथो
वशायास्तत्प्रियं यद्देवत्रा हविः स्यात्
।। अथर्व
12-4-40
For
Brahmins to perform Yagyas higher fat content in milk is provided. This
in turn brings great benefits to
Environment, Society and even other cows
and agriculture.
ब्राह्मणों
द्वारा बड़े बड़े यज्ञ करने के लिए गोघृत के
लिए अधिक वसा वाले गोदुग्ध का प्रबन्ध
होता
है। इन यज्ञों से पर्यावरण के साथ कृषि, गौ इत्यादि को भी लाभ होता है।
4.1.0.41 AV
12-4-41 Higher fat Milk
या
वशा उदकल्पयन्देवा यज्ञादुदेत्य।
तासां
विलिप्त्यं भीमामुदाकुरुत नारदः ।। अथर्व 12-4-41
For yagyas
experts developed very high fat content milk bearing cows
such
as Vilpti
breeds
यज्ञों
के लिए अधिक वसा वाले दुग्ध की गौ विलिप्ती कहलाती है।
( During
Vedic times, High Fat content of Cow's milk was not considered
desirable
quality milk and had to
be
consumed very carefully. To get the best desirable qualities in Milk,
cows
were sent for green forage feeding in Pastures. Stall feeding and
heavy
concentrated grain feeding which is very proudly acknowledged as a
veterinary
nutrition science achievement has been the main cause of host
of
new human diseases that were not known in earlier times.)
4.1.0.42
AV12-4-42 About Vilipti Breeds
विलिप्ती
के बारे में
तां
देवा अमीमास-त वशेया
3 मबशेतिं।
तामब्रवीन्नारद
एषा वशानां वशतमेति ।। अथर्व 12-4-42
It was
feared that such cows may not be of good temperament.
But on
the
contrary such cows were found to be very docile
शंका
थी कि विलिप्ती सुशील स्वभाव की न होगी।
परन्तु ऐसा नहीं है।
4.1.0.43
AV 12-4-43 Vilipti population control
विलिप्ती
का प्रसार
कति
नु वशा नारद यास्त्वं वेत्थ मनुष्यजाः ।
तास्वा
पृच्छामि विद्वांसं कस्या नाश्नीयादब्राह्मणः ।। 12-4-43
Such cows
were specially desired for Brahmans doing yagyas to meet the
extra
requirements of fat for havi, it was therefore to be ensured that
adequate
numbers of such cows are born, and are to be exclusively
meant for
Brahmins to perform yagyas. (This is confirmed by Kerala
Namboodri
Brahmins maintaining Vitur breeds of cows that give milk with
higher
fat content.)
आवश्यकता
के अनुसार आज्य की व्यवस्था के लिए पर्याप्त संख्या में
विलिप्ति
गौ की प्रजनन प्रबंध योजना आवश्यक है।
4.1.0.44
AV 12-4-44 High Fat milk is not for human diet अधिक वसा का दुग्ध
आहार नहीं
विलिप्त्या
बृहस्पते या च सूतवशा वशा ।
तस्या
नाश्नीयादब्राह्मणो या आशंसेत भूत्याम् ।। अथर्व 12-4-44
Experts
pointed out that if one is looking for assured Good life, High Fat
milk from
these domesticated cows was to be used intelligently ( by
removing
extra fat) human diet. This high fat in milk
was designed for
yagyas by
Brahmins.
4.1.0.45
AV 12-4-45 Experts should guide about
Which cows are meant for what purpose
विशेषज्ञ
बताएं किस गौ का दुग्ध आहार के योग्य है
नमस्ते
अस्तु नारदानुष्ठु विदुषे वशा ।
कतमासां
भीमतमा यमदत्त्वा पराभवेत ।। अथर्व 12-4-45
Gratitude
is expressed for the guidance of experts to advise about
suitability
of milk for specific uses.
विद्वानों का आभार है जो यह ज्ञान देते हैं कि किस गौ का दुग्ध किस प्रयोग में
लेना है।
4.1.0.46
AV 12-4-46 Only docile cows to be kept as family cows
विलिप्ती
या बृहस्पते ऽथो सूतवशा वशा ।
तस्या
नाश्नीयादब्राह्मणो य आशंसेत भूत्याम् । ।अथर्व 12-4-46
Cows
called Vilipti which give high fat milk, and those called Sootwasha,
that can be controlled only by expert staff, are not to be used as
domesticated
family cows.
विलिप्ती
अधिक वसा वाला दुग्ध देने वालि गौ और
सूतवशा मरखनी गौ जो केवल कर्मचारियों
के
वश में रह सकती हैं
, ग़ृह परिवार में पालने के योग्य नहीं होती।
4.1.0.47 AV
12-4-47 Three categories of cows गौ कि तीन प्रजातियां
त्रीणि
वै वशाजातानि विलिप्ती सूतवशा वशा ।
तः
प्रच्छेद् ब्रह्मभ्यः सो ऽनाव्रस्कः प्रजापतौ । । अथर्व 12-4-47
These
three categories of cows, require to be
understood,
1. Those
whose milk has high fat content,
2.Those
which are difficult to control,
3.Those
which are docile by nature and good as
household cows .
विलिप्ती, सूतवशा और वशा गौ की तीन
प्रजातियां हैं ।
4.1.0.48
AV 12-4-48 Donate high Fat Milk for Yagyas
अधिक
वसा के दुग्ध का आज्य में प्रयोग
एतद्
वो ब्राह्मणा हविरति मन्वीत याचितः ।
वशां
चेदेनं याचेयुर्या भीमाददुषो गृहे ।।
अथर्व
12-4-48
Donate
high fat milk cows to Brahmins to facilitate performing of Ygyas.
Such cows
are very dangerous (for health) to keep in one's family, and
should be donated
for making Ajya for Havi .
अधिक वसा वाली गौ को यज्ञ के
आज्य के लिए ब्राह्मणों को दान मे दे
देना उचित है। ऐसी गौ को परिवार में
दुग्धाहार के लिए न ही रखना चाहिए।
4.1.0.49 AV 12.4.49
देवां वशां पर्यवद न् न
नोऽदादिति हीडिताः।
एताभिरृषिग्भिर्भेदं तस्माद्
वै स पराभवत्।। अथर्व
12-4-49
Those who ignore the advice to
seek help of Vet experts in matters connected with family cows, seriously
suffer the ill effects on their cows.
जो जन गौ ज्ञान विशेषज्ञों
से सहायता नहीं लेते उन के गोवंश की अवनति होती है.
4.1.0.50 AV 12-4-50
उतैनां भेदो नाददाद्
वशामिन्द्रण याचितः ।
तस्मात् तं देवा
आगसोऽवृश्चन्नहमुत्तरे ।। अथर्व 12-4-50
Those who did not seek Vet help
for their cows even after having been advised to get expert learned person's
help, met with death in life as a punishment for ignoring the sage advice.
(Here the reference is to not
making available pre-parturition and post-parturition help for their household
cows. Cows under such neglect not only suffer physically ill health, drop the
new born, but also are liable to spread contagious diseases to humans. In the
long run such cows the health and milk production of such cows gradually
declines, as has happened in India.)
इस आदेश का पालन न करने
वालों को मृत्यु प्राप्त हुइ ।
4.1.0.51 AV 12-4-51
ये वशाया अदानाय वदन्ति परिरापिणः । इन्द्रस्य मन्यवे जाल्मा आ
वृश्चन्ते अचित्या ।। अथर्व 12-4-51
वे लोग जो गोसेवा मे समय
नहीं देते,
जैविक कृषि, पञ्चगव्य इत्यादि का लाभ नहीं
लेते, वे रुद्र के कोप से ग्रसित होते हैं।
Those ill
advised who do not devote their time and labor for utilizing
the family cows , and cultivate organic crops
they suffer through
pests
insects, diseases thrown by Rudra. (Rudra here is the controller
of harmful
diseases caused by microbial agents).
4.1.0.52
AV12-4-52
ये
गोपतिं पराणीयाथाहुर्मा ददा इति ।
रुद्रस्यास्तां
ते हेतिं परि यन्तचित्त्या ।। अथर्व 12-4-52
Those cow
owners who get misled in to not giving their cows in to the
care of
experts, do not realize that they suffer innumerable ruinous
diseases
caused by microbiological pathogens. (This is a clear
reference
to communicable zoonotic diseases like brucellosis,
tuberculosis
etc being transferred to humans from sick
cows)
जो अज्ञानी समाज गौ की कुशल विद्वानों से देख रेख नहीं करवाता वह स्वयं भी भयंकर रोगों से ग्रसित हो जाता है
4.1.0.53 AV 12-4-53
यदि हुता यद्यहुताममा च पचते
वशाम् ।
देवान्त्सब्राह्मणा नृत्वा
जिह्नो लोकान्निर्रिच्छंति ।।12-4-53
Such a person and society that
keeps its cows in confinement in their homes, suffer fall from grace of learned
people and Gods.
जो यज्ञादि के कारण गौ को
निज गृह में बांध कर ही रखता है, वह समाज और देवों के प्रति पाप
कर और समाज को हीन बनाता है।
4.1.1.1 AV 3.14.1
संवो
गोष्ठेन सुषदा सं रय्यसं सुभूत्या। अहर्जातस्य
यन्नाम तेना व: सं सृजा मसि।।
अथर्व
3.14.1
In
this cow house', we provide for you with, Comfortable bedding obtained with
money, good materials of Freshly daily produced feeds & water, and provide for many calvings.
(सुषदा
गोष्ठेन व: सम्) सुख से जहां बैठा जा सकता है, ऐसे गोष्ठ का
प्रबंध करो.
(रय्या सं ,भूत्या सं) उत्तम
साधनों और आहार का प्रबंध करो. ( जल और हरा) स्वच्छ जल से और
उत्तम हरे से दुग्ध उत्पादन और गौ के
स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार होता है.
(
अहर्जातस्य तेना सृजामसि) पुन: पुन: गर्भ धारण कर के बछड़े बछिया को जन्म देने की
व्यवस्था करो ( उत्तम नन्दी उपलब्ध करो)
(
In earlier times cows were provided with comfortable floors of clean earth,
sand , or straw etc to sit. In modern Dairy practice Cows are provided with
comfortable beddings to sit. Plastic Foam pads, and composite canvass water
beds are in use in developed world. By providing hard floors for cows to sit,
discomfort, damage to milk teats and udder and injuries to knees etc are very
common. Milk yield increase up to 10% is possible just by providing comfortable
beddings for cows. Good water to drink and green fodder
makes significant improvements in health and milk productivity of Cows.)
Duty of State
4.1.1.2 AV 3-14-2
सं व: सृजत्वर्यमा सं पूषा सं
बॄहस्पति:।
समिन्द्रो यो धनंजयो मयि पुष्यत
यद् वसु।।
सब प्रकार के साधनों के कुशल
प्रबंध से गौ समाज में सम्पन्नता और पौष्टिकता
प्रदानकरती है।
अर्यमा Chief
Justice, पूषा Food
Minister बृहस्पति Education minister धनंजय: Finance
incharge इंद्रो
Good hard workers व: मयि
for you (the cow) & me सं सृजत् Provide
for us, ie Cows and community to be पुष्यत to be well fed यद वसु with
prosperous living.
न्याय , खाद्यान्न , शिक्षा , आर्थिक
व्यवस्थाएं ऐसा प्रबंध करें कि
कुशल युवा द्वारा गौ द्वारा समृद्धि और सम्पन्नता प्राप्त हो .
4.1.1.3
AV 3-14-3
संजग्माना अबिम्युषीर स्मिन्
गोष्ठे करीषिणी:।
विभ्रती: सोम्यं मध्यनमीवा उपेतन।। अथर्व 3-14-3
संजग्माना Moving
together (in large scale operations like biogas, Panchgavya productions) अबिभ्युषी protected from thieves & carnivore करीषणी: provide with farm yard manure अस्मिन गोष्ठे
उपेतन stay with us in our Goshala & your place providing सोम्यम मधु sweet milk
full of सोम Which gives to mind virtuous motivation
- अनमीवा physically free from all diseases विभ्रती spread &
distribute in all directions.
इस गोशाला में अनेक गौवें सुरक्षित, स्वस्थ,
सुख से रहती हुई, (जिस से बड़े स्तर पर उत्पादन द्वारा ) हमें उत्तम गोबर गोमूत्र
के जैविक अन्न पदार्थ और उत्तम दुग्धादि, पञ्च गव्य द्वारा शारीरिक पौष्टिकता
और मानसिक विकास
प्रदान करें।
4.1.1.4 General management
AV 3-14-4
इहैव गाव एतनेहो शकेव पुष्यत
| इहैवोत प्र जायध्वं मयि संज्ञानमस्तु || अथर्व
3.14.4
Welcome
all cows with love and affection to live in this institution, to grow in
health, and numbers with excellent progeny .
सब
गौवों को श्रद्धा और सेवा भाव से प्रेरित सुख मय वतावरण प्रदान करो, जिस से गोवंश की उन्नति हो
4.1.1.5 AV 3-14-5 Goshala to have Biodiversity of
life
गोशाला में भिन्न भिन्न जीव जंतु आवश्यक
शिवो वो गोष्ठो भवतु शारिशाकेव
पुष्यत।
इहैवोत प्र जायध्वं मया व: संसृजामसि।।
अथर्व 3-14-5
सं सृजामसि We provide for you शिवो वो गिष्ठो this shelter to be blessed with, शारिकाशैव different birds (like egrets) Parrots and
animals living together in this cow house may provide us with रायस्पोषेण बहुला Plentiful bounties सदेम Sustainable रुप Welfare जीवा जीवन्ती for all the life here. to be also पुष्यत healthy on feeds,
प्रजायध्वं and to have large progeny. (biodiversity chain of nature)
इस गौशाला में गौओं के संपूर्ण
विकास के पर्यावरण में भिन्न भिन्न प्रकार
के तोते बगुले इत्यादि पक्षी अन्य पशु साथ साथ रहने वाले भी गौ के स्वास्थ्य और
पौष्टिकता के लिए आवश्यक हैं.
4.1.1.6 AV 3-14-6
मया गावों गोपतिना सचध्वमयं नो गोष्ठ इह पोषयिष्णु:
।
रायस्पोषेण बहुला भवन्तीर्जीवा
जीवन्तीरुप व: सदेम।। अथर्व 3-14-6
Thus live with large number of
happy well-fed well-loved cows for growth, health, long life and prosperity.
मया गोपतिना सचध्वम- मुझ
गोपति के साथ रहकर आनंद भोग करती और कराती गौएं , इह पोयिष्णु
– सदा पुप्ष्ट रहें और पौष्टिकता प्रदान करें, रायस्पोषेण
बहुला – धन धान्य से सम्पन्नता का साधन
बनें , जीवन्ती: -सुख से जीवित रहती हुई , व: जिवा: उपसदेम- अपने (गौवों के साथ रह्ने से हम भी दीर्घायु बनें.